बिहार में अभी चुनावी दौर चल रहा है और सब लोग कही न कही अपने अपने तरीके से चुनावी मसाले में हाथ साफ़ कर रहे है. किसी का कुछ कहना है तो कोई कुछ और कह रहा है. हर किसी के लिए अपना अपना नेता महत्त्वपूर्ण है लेकिन जीत के लिए नीतीश कुमार सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण चेहरा माने जा रहे है. चाहे उनके राज में बिहार में ज्यादा कुछ ख़ास काम नही हुआ है लेकिन लालू प्रसाद यादव से बचने के लिए लोग नीतीश कुमार को चुनने से परहेज नही कर रहे.
लालू के घोटालो परिवारवाद और जंगलराज की यादे अब भी है ताजा, लोग नीतीश को इस कारण दे रहे तरजीह
आज से 15 साल पहले बिहार में राजनीति बहुत ही अलग तरह की होती थी. इस पर कई सारी डॉक्यूमेंटरी और रिपोर्ट्स भी आ रखी है जिसमे बताया जाता है कि उस वक्त में किस तरह का जंगलराज बिहार में चला करता था. जबरदस्ती वोट डलवाना, बूथ पर ही कब्जा कर लेना, अपने पक्ष में वोट न देने वालो को परेशान करना, आये दिन घोटाले और परिवार के लोगो को फायदा देना ये तमाम दिक्कते आज से कई दशको पहले लोगो ने फेस की है और इनका मुख्य चेहरा लालू थे.
मगर अब नीतीश राज में ये चीजे न के बराबर रह गयी है और इसके पीछे जाहिर तौर पर टेक्नोलॉजी का मुख्य योगदान है लेकिन फिर भी लोगो के दिलो में एक डर तो बैठा हुआ ही है कि अगर आरजेडी फिर से आ जाती है तो फिर कही फिर से पहले जैसी स्थिति न हो जाये और इसी के चलते हुए नीतीश चाहे बहुत बड़े सफल नेता साबित न हुए हो लेकिन फिर भी उन्हें चुना जा रहा है और पोल भी उनके पक्ष में ही आ रहे है.
ऐसे में आप खुद नोटिस कर सकते है कि नीतीश और बीजेपी बार बार लालू के वक्त के उस जंगलराज और परिवारवाद का जिक्र करते है और तेजस्वी को देखे तो वो पहले के वक्त पर बात करने पर हर बार हिचकिचाते है क्योंकि वो खुद भी जानते है कि उनका वक्त अच्छा नही रहा है.