इन दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जो कुछ भी किया है वो हर कोई देख ही रहा है कि किस तरह से उन्होंने पूरी मध्यप्रदेश की राजनीति को अपने एक फैसले से हिलाकर के रख दिया है. आपको मालूम तो होगा ही कि बहुत ही बड़े समारोह में काफी जोर शोर के साथ में जेपी नड्डा की मौजूदगी भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली. अब वो बीजेपी की तरफ से राज्यसभा के उम्मीदवार भी है. सभी को लगा कि कमलनाथ की वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ी है लेकिन हकीकत में मामला तो कुछ और ही है और उनका ये फैसला त्वरित था.
दिग्विजय सिंह ने लगा दिया था उनके राज्यसभा सांसद बनने में रोड़ा, सीएम न बनने के कारण पहले से ही थे खफा
जब मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव हुए तो सिंधिया ने जी तोड़ मेहनत की और जीत हासिल भी करवायी. उन्हें तारीफ़ मिली लेकिन सीएम बनाने की बात हुई तो कमलनाथ को बना दिया. इससे वो नाराज तो हुए लेकिन राहुल ने उन्हें मना लिया. इसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि वो कम से कम प्रदेश अध्यक्ष तो बनेंगे लेकिन दिग्विजय सिंह ने उन्हें वो भी नही बनने दिया.
चलो यहाँ तक तो ठीक था लेकिन दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा का सदस्य बनने में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के टांग अड़ा दी. ज्योतिरादित्य राज्यसभा सांसद बनना चाह रहे थे लेकिन दिग्गी राजा की खुदकी इच्छा थी कि वो राज्यसभा में जाए और इसी कारण से उन्होंने सिंधिया का पत्ता काट दिया. जब सिंधिया ने गांधी परिवार से मुलाकात करने की कोशिश की तब भी अलग अलग चाल खेलकर के उन्हें मिलने नही दिया गया. इससे वो काफी ज्यादा फ्रस्ट्रेट हो गये और उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ने का निर्णय ले लिया.
कुल मिलाकर के ये कह सकते है कि कमलनाथ के मुख्यमंत्री बने रहने की लालसा और दिग्विजय सिंह की राज्यसभा पद की जिद ने सिंधिया को पार्टी ही छोड़ देने के लिए मजबूर कर दिया. अब ये चीज कही न कही उनके अपने राजनीतिक भविष्य के लिए भी जरुरी हो चली थी.