इस समय में एशिया में सिर्फ दो ही क्षेत्रफल और अर्थव्यवस्था के हिसाब से बड़े देश है. उसमे पहला आता है चीन और दूसरा आता है भारत. इन दोनों देशो के बीच में कई मुद्दों को लेकर के मतभेद है लेकिन इसके बावजूद दोनों देश व्यापार के मामले में काफी क्लियर रहते है. आपको मालूम तो होगा कि भारत और चीन के बीच में एक फ्री ट्रेड अग्रीमेंट होने जा रहा था जिसके लिये प्रधानमंत्री मोदी बैंकोक गये थे मगर उन्होंने इसका हिस्सा बनने इनकार कर दिया. चलिये पूरा मामला समझ लेते है और जानते है कि चीन भारत के आगे क्यों नतमस्तक हो रहा है?
16 देशो के बीच में होने वाला था RCEP समझौता, चीन और भारत भी थे शामिल
दुनिया के 16 छोटे और बड़े देश मिलकर के एक फ्री ट्रेड अग्रीमेंट करने जा रहे थे जिसके तहत कोई भी देश बाकी 15 देशो में बिना किसी अतिरिक्त टैरिफ के या फिर बेहद ही मिनिमल टैरिफ पर एक्सपोर्ट कर सकेगा. इससे सभी देशो को अपना एक्सपोर्ट बढाने में मदद मिलेगी. भारत पहले तो इस पर राजी हो रहा था लेकिन पीएम मोदी ने अचानक से इस ग्रुप का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.
चीन को लगा झटका, अब लगा रहा शामिल होने की गुहार
चीन पहले ही अमेरिका में अपनी कम्पनियों पर लग रहे प्रतिबन्ध और ट्रेड वार से अरबो डॉलर का नुकसान झेल रहा है. ऐसे में RCEP में भारत के साथ जुड़कर के चीन का प्लान था कि वो भारत में जितना चाहे उतना सामान एक्सपोर्ट कर फायदा उठा लेगा लेकिन भारत ने इस पर इनकार कर दिया. अब चीन ने बयान जारी कर कहा है ‘अगर भारत भविष्य में कभी इसका हिस्सा बनना चाहे तो हमें स्वागत करने में ख़ुशी होगी.’ इसके बाद में चीन ने ये भी कहा कि अगर भारत को ग्रुप के किसी मुद्दे से समस्या है तो वो उसे हल करेंगे और भारत की हर समस्या का समाधान करेंगे. चीनी मीडिया भी भारत के आगे पीछे घूम रही है क्योंकि बात पैसो की जो है.
भारत क्यों नही हो रहा इस ग्रुप में शामिल?
भारत की भी अपनी मजबूरियां है जिसके चलते पीएम मोदी ने ऐसा किया है. अगर बाहरी देशो से फ्री ट्रेड शुरू होता है तो भारत की उन कम्पनियों को तो फायदा होगा जिनके पास खूब पूँजी और संसाधन है. वो तेजी से एक्सपोर्ट बढायेगी लेकिन छोटे और लोकल वेंडरो और निर्माणकर्ताओं को सस्ते इम्पोर्ट से खतरा होगा. हो सकता है उनका व्यापार ही बंद हो जाये.