अनुच्छेद 370 हटने के बाद में कश्मीर तो पूरी तरह से आजाद हो गया है और वहाँ पर अब सभी को उतने ही अधिकार मिल चुके है जितने देश के बाकी नागरिको को मिले हुए है लेकिन इसी के साथ दो परिवारों के लिये अंतिम संघर्ष भी शुरू हो गया है. एक तो मुफ़्ती और दुसरे अब्दुल्ला, इनकी राजनीति खत्म हो चुकी है और सियासत तो जा ही चुकी है. ऐसे में हाल ही में दोनों को ही पुलिस ने अरेस्ट करके एक गेस्ट हाउस में रखा था और गौर करिएगा दोनों को ही एक ही घर में रखा गया था.
अन्दर से आने लगी आवाजे, बीजेपी की वजह से लड़ने लगे दोनों
महबूबा और उमर दोनों ही एक ही जगह पर थे और बाहर सुरक्षाकर्मी लगे हुए थे तब उन्हें भी सब कुछ सुनाई दिया. रिपोर्ट के अनुसार महबूबा और उमर दोनों ही एक दुसरे पर बीजेपी को घाटी में लाने और उसे मजबूत करने के आरोप लगाने लगे. महबूबा कह रही थी सब नेशनल कांफ्रेस का किया धरा है तो उम्र ने कहा ‘ तुम लोगो ने ही बीजेपी से गठबंधन किया था जिसके चलते उन्हें ये सब करने का मौक़ा मिला’.
महबूबा ने उमर के पिता को किया टारगेट तो चिल्लाने लगे उमर
बातो ही बातो में दोनों के आरोप बाप दादा तक भी पहुँच गये. महबूबा कहने लगी कि फारूक अब्दुल्ला ने वाजपेयी की सरकार में जुडकर के उन्हें खूब सपोर्ट किया और यही ये सब होने की वजह है तो उमर इस पर चिल्लाने लगे और सारा ठीकरा महबूबा के पिता मुफ़्ती मोहम्मद सईद पर फोड़ने लगे. कुछ घंटो की बहस इस कदर बढ़ी की दोनों एक दुसरे पर ऐसे चिल्लाने लगे जैसे अभी कही एक दुसरे पर हमला न कर दे.
सिक्यूरिटी को अन्दर आकर दोनों को अलग करना पडा
जब मामला बहुत ही ज्यादा बढ़ा और लगा कि कही उमर अब्दुल्ला महबूबा मुफ़्ती को चोट वगेरह न पहुंचा दे तो ऐसे में स्टाफ अन्दर आया और इन दोनों को ही अलग अलग रखा गया जिसके बाद जाकर के पूरा मामला भी शांत हुआ. हालांकि बाते दीवारों के कान वाले मुहावरे को सार्थक करते हुए कश्मीर से लेकर पूरे देश में फ़ैल गयी है.