प्रधानमंत्री मोदी अपने देश की अर्थव्यवस्था को बहुत ही उंचाई पर ले जाने की बात कर रहे है मगर क्या ये सब उतना ही आसान है जितना कहा जा रहा है? पीएम मोदी चाहते है भारत की अर्थव्यवस्था को अभी की तुलना में लगभग दुगुना कर दिया जाए और आने वाले 5 वर्षो में भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर कर दिया जाए. इसके बाद भारत विश्व की छठी से चौथी अर्थव्यवस्था तक बन सकता है अगर इसी तरह की स्पीड बनी रही. अब चलिए ये जानते है ऐसा होने पर आपको निजी तौर पर क्या कुछ फायदा हो सकता है.
भारत की अर्थव्यवस्था के बढ़ने पर आपको सीधा घर के अन्दर तो ऐसा कोई बड़ा बदलाव देखने को नही मिलेगा न ही कोई जादू की छड़ी घूमने वाली है लेकिन कुछ चीजे है जो बहुत ही ज्यादा बदल जायेगी उनमे से ये 5 बड़े बदलाव है जो देश में आने वाले है.
The #EconomicSurvey2019 outlines a vision to achieve a $5 Trillion economy.
It also depicts the gains from advancement in the social sector, adoption of technology and energy security.
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— Narendra Modi (@narendramodi) July 4, 2019
- देश में प्रति व्यक्ति औसत आय तिगुनी हो जायेगी यानी अगर कोई मजदूर वर्ग रोज पत्थर तोडकर के आज की तारीख में 500 रूपये कमाएगा तो उनकी आये भविष्य में 1500 रूपये तक पहुँच जायेगी. ध्यान रहे इसका महंगाई से कोई ख़ास लेना देना नही रहेगा इसलिए इस अनुपात में उतनी अधिक महंगाई नही बढ़ेगी.
- भारत में प्रतिव्यक्ति की औसत आय 2018 में कुल 1.13 लाख थी जबकि इकॉनमी बढ़ने पर ये आय 3 लाख रूपये से भी ज्यादा हो सकती है और इससे सबसे ज्यादा फायदा निचले तबके को ही होगा.
- अगर भारत की अर्थव्यवस्था इतनी बनती है तो हर साल 1 करोड़ रोजगार अपने आप जनरेट होंगे और इससे देश में बेरोजगारी घटेगी. ये सारा रोजगार प्राइवेट सेक्टर में अधिक होगा और सरकारी प्राइवेट मिश्रित में भी इसकी काफी हिस्सेदारी होगी.
- इससे भारत में हर साल सवा करोड़ लोगो को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया जा सके. ये वो लोग होंगे जो रोजगार वाली श्रेणी में नही है लेकिन मौजूद अर्थव्यवस्था उनके जीवन स्तर को ऊपर उठायेगी.
- स्वास्थ्य और शिक्षा बजट अब से काफी ज्यादा हो जाएगा जिससे पब्लिक के लिए उपलब्ध मुफ्त अस्पतालों की सुविधाए बेहतर होगी और शिक्षा के लिए कम से कम चीन जितने अच्छे स्कूल तो बनाये ही जा सकेंगे.
ये तो महज कुछ झलक है जिसकी उम्मीद की जा रही है कि अगर भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का बनाया जाता है तो इतना सब हो सकता है. हालांकि इसके लिए हर वर्ष 10 प्रतिशत से अधिक जीडीपी की जरूरत है जबकि अभी तक भारत सात के करीब ही पहुँच पाया है यानी अभी जीडीपी में 3 प्रतिशत और उछाल की दरकार है.